( Judiciary Mains Answer Writting ) IPC के Sections 34 तथा 149 में विहित (principle of joint responsibility) संयुक्त उत्तरदायित्व की सिद्धांत की व्याख्या कीजिए तथा अंतर भी स्पष्ट कीजिए
Question ::--
आईपीसी की धारा 34 में सामान्य आशय तथा आईपीसी सेक्शन 149 में समान उद्देश्य की व्याख्या की गई है। ( Judiciary Mains ,RJS , UK APO ,Bihar APO ,All States Mains Notes )
सेक्शन 34
कोई अपराधिक कार्य कोई व्यक्तियों द्वारा अपने सामान्य आशय को अग्रसर करने में किया जाता है तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति इस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है मानव वह कार्य अकेले उसी ने किया हो।
गणेश सिंह
बनाम
राम पूजा 1869 प्रिवी परिषद ,
संभवत इसी मामले के बाद 1870 में संशोधन करके सेक्शन 34 में * सामान्य आशय * को अग्रसर करने में पदावली जोड़ी गई।
अर्थात कोई अपराध किया गया हो।
ऐसे अपराध के बारे में 1 से अधिक लोग समान आशय रखे हो
ऐसे कार्य जिससे अपराध घटित हुआ हो उन सभी के समान आशय के अनुसरण में उनमें से किसी द्वारा किया गया हो।
सेक्शन 34 का आवश्यक तत्व :--
1) अपराधिक कार्य का गठित होना।
2) एक का अधिक व्यक्ति की सहभागिता।
3) सामान्य आशय का होना।
सेक्शन 34 किसी अपराध विशेष का सृजन नहीं करता अपितु साक्ष्य विधि का नियम है।
सेक्शन 34 के तहत दोषी ठहराए जाने हेतु उनके विरुद्ध निम्न दो बातें का सिद्ध की जानी आवश्यक है :--
1) यह कि उनका अन्य शामिल व्यक्तियों के साथ पूर्व नियोजित योजना के अर्थ में सामान्य से विद्वान था। तथा
2) यह की उस व्यक्ति ने अन्य शामिल व्यक्तियों के साथ मिलकर उस अपराध कार्य में किसी न किसी रूप में भाग अवश्य लिया हो।
Case -- महबूब शाह
बनाम
सम्राट
सामान्य उद्देश्य (149) ::--
विधि विरुद्ध जमाव का हर समान उद्देश्य को अग्रसर करने में किए गए अपराध का दोषी ::---
यदि विधि विरुद्ध जमाव के किसी सदस्य उस जमाव के समान उद्देश्य को अग्रसर करने में अपराध किया जाता है या कोई ऐसा अपराध किया जाता है जिसका किया जाना उच्च माफ के सदस्य उस उद्देश्य को अग्रसर करने में सम्याध जानते थे के किए जाने के समय उस जवाब का सदस्य है उस अपराधी का दोषी होगा।
Section 149 का आवश्यक तत्व :--
1) अभियुक्त विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य हो ।
2) अपराध कृत्य ऐसी सभा सदस्य ह्रास अवश्य किया जाना चाहिए।
3) अपराध कृत्य अवैध सभा के सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाय या जिस समान्य उद्देश्य की पूर्ति में किए जाने की संभावना हो।
4) सभी सदस्य स्वेच्छापूर्वक अवैध सभा में सम्मिलित हुए तथा वे सब उन सभा के समान्य उद्देश्य जानते थे।
सामान्य आशय और सामान्य उद्देश्य में अंतर:--
सामान्य आशय :--
1) व्यक्तियों की संख्या दो या दो से अधिक होनी चाहिए।
2) यह विशिष्ट अपराध का निर्माण ना करके केवल साक्ष्य के 1 नियम का उल्लेख करती है।
3) इस धारा के अंतर्गत सामान्य है किसी भी प्रकार का हो सकता है।
4) सभी द्वारा सम्मिलित आक्रमण के होने से पूर्व सभी सदस्यों के दिमाग का पूर्व मिलन आवश्यक है।
5) इस धारा के तहत सामान्य आशय की वृद्धि को अग्रसर करने के लिए किए गए अपराधी केबल दंडनीय है।
6) सदस्यों का अपराध कार्य में सक्रिय योगदान होना चाहिए।
सामान्य उद्देश्य :---
1) अवैध सभा में कम से कम पांच व्यक्तियों का होना आवश्यक है।
2) यह एक विशिष्ट अपराध एवं साक्ष्य के नियम दोनों का निर्माण करती है।
3) इस धारा के तथ्य सामान्य उद्देश्य के धारा 141 में वर्णित उद्देश्य में ही होना आवश्यक है।
4) इस धारा के तहत दिमाग का पूर्व मिलन आवश्यक नहीं है।
5) इस धारा के अंतर्गत अवैध सभा के सदस्य केवल सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए कृत्य कार्य के लिए हैं उत्तरदाई नहीं है बल्कि उन कार्यों के लिए भी उत्तरदाई है जिन्हें समान उद्देश्य की पूर्ति में किए जाने की संभावना रहती है।
6) सदस्य मात्र पर्याप्त है।

Nice 👌
जवाब देंहटाएंThank you ma'am bhot achi jankari di h
जवाब देंहटाएंPls provide answer to English medium students also
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