*धारा 28E. Act.*

 *धारा 28E. Act.*


■ E. Act. की धारा 24 का अपवाद E. Act. की धारा 28 है।


*धारा 29E. Act.*


■ मत व्यक्ति (नशे मे) की गयी संस्वीकृती सुसंगत है।

■ धोखा,प्रवंचना या स्वयं से की गयी संस्वीकृति सुसंगत होगी।


Csse->

*साहू v/s उ0 प्र0 राज्य* ---> स्वयं से की गयी संस्वीकृति सुसंगत है।


*सिघारा सिंह v/s उ0 प्र0 राज्य* ---> संस्वीकृति से सम्बन्धित हैE. Act. 29


*धारा 30 E. Act.*


■ सह अभियुक्त की संस्वीकृति सुसंगत होती है।

■ सह अभियुक्त का *एक ही अपराध के लिए संयुक्त विचारण(joint trial) किया जायेगा।*


■ सह अभियुक्त का साक्ष्य, साक्ष्य मे महत्व न्यायालय *विचार मे ले सकेगा।*


Case-->

     *कशमीरा सिंह  का वाद E. Act. 30*


*धारा 32  E. Act.*


■ *E. Act 32* मे *8 खण्ड* है और आठो महत्वपूर्ण है।


■ मृत्यु कालिक कथन 32(1) E. Act मे है।

■ मृत्यु कालिक कथन अपने या स्वयं के मृत्यु के बारे मे कथन होना चाहिए।


■ *P.N. स्वामी  v/s इम्परर* के मामले मे मृत्युकालिक कथन घटना के पहले एवं घटना के बाद दोनो सुसंगत होते है। *( जस्टिस लार्ड एटकिन)*


■ मृत्यु कालिक कथन सारवान साक्ष्य होता है।


■ *खुशहाल राव v/s स्टेट ऑफ बाम्बे* मे सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि *कोई अपने निर्माता से अपने मुख मे झूठ लेकर नही मिलना चाहेगा।*


■ मृत्यु कालिक कथन *विश्वसनीयता, आवश्यकता तथा अन्य साक्ष्य के अभाव* मे ग्रहण किये जाते है।


■ *रामनाथ माधो प्रसाद v/s म0 प्र0 राज्य*  के मामले मे मृत्यु कालिक कथन की व्याख्या की गयी है ।


*धारा 34 E. Act.*


■ *लेखा बही प्रविष्टियाँ* - सुसंगत होगी लेकिन दायित्व से भारित करने के लिए पर्याप्त सुसंगत नही होगी।


*Case-> जैन बन्धु हवाला मामला जिसमे लेखा प्रविष्टियाँ सुसंगत नही हुई ।*


*धारा 35 E. Act*


■ सरकारी बही खाते मे की गयी प्रविष्टियाँ सुसंगत होती है।


*धारा 38 E. Act.*


■ विदेशी विधि को *E. Act 38  व 45* के तहत सुसंगत माना गया है ।


■ विदेशी विधि को या वहा मौजूद विधि को प्रस्तुत किया जा सकता है।


■ विदेशी विधि पर *विशेषज्ञों* को राय  *E. Act 45* के तहत ली जायेगी।


■ भारतीय विधि पर *विशेषज्ञों* की राय *नही* ली जा सकती क्योकि न्यायालय स्वयं मे विशेषज्ञों का विशेषज्ञ है।


*धारा 39 E. Act.*


■ *E. Act. 39 व 132* को *17अक्टूबर 2000* को प्रतिस्थापित किया गया।


■ *E. Act. 119  व 114A*  को *03 फरवरी 2013* को प्रतिस्थापित किया गया ।


*धारा 40 E. Act.*


■ *प्रांगन्याय* सिद्धांत दिया गया है ।


*धारा 41 E. Act.*


■ *सर्वबन्धी, विश्वव्यापी या लोकलक्षी* निर्णय के विषय मे बताया  गया है । जिसके अनुसार--

1. प्रोबेट

2. विवाह

3. नवाधिकरण

4. दिवाला


■ निश्चायक सबूत *E. Act.  41, 112, 113* मे दिया गया है।


*धारा 42 E. Act.*


■ *publice Nature (लोक प्रकृति)* के मामलो मे दिया गया निर्णय *सुसंगत* होगा लेकिन *निश्चायक* नही होगा।


*धारा 43E. Act.


 *नोट -- इस धारा का सभी दृष्टान्त महत्वपूर्ण है।


■ सामान्यतः पूर्ववर्ती निर्णय सुसंगत नही होते।


■ सिविल मामलो मे दिया गया निर्णय Criminal  मामलो मे सुसंगत नही होगा।


■ Criminal मामलो मे दिया गया निर्णय सिविल मामलो मे सुसंगत नही होगा।


टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट