मिल्खा सिंह का वो सपना जो अधूरा रह गया/ Biography

 मिल्खा सिंह ने नए रिकॉर्ड रच कर भारतीय एथलेटिक्स के पहले सुपरस्टार बने उड़न सिख के नाम से मशहूर मिल्खा चमकदार सितारा बनकर आने वाले पीढ़ियों की राह रोशन करते रहेंगे वाह ऐसे योद्धा रहे हैं जो संघर्ष में तब कर निखरती चले गए उनके जूनियर रहे महान एथलीट एशियाई चैंपियन रहे G .S  रंधावा ने उन्हें याद किया। दौड़ने मिल्खा सिंह के जिंदगी को अलग मायने देने के साथ खेल इतिहास में खास जगह दी ।


ओलंपिक पदक का सपना अधूरा रहा


मिल्खा सिंह से जब कोई उनके सपने के बारे में पूछता तो वह यही कहते थे कि वह ओलंपिक में पदक जीतना चाहते थे जो सपना पूरा ना हो सका उस उनका दूसरा सपना था कि वह अपने जीवन में ऐसे एथलीट को देखना चाहते थे जो ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीते पर उनका यह सपना भी अधूरा रह गया वह कहते थे कि भारतीय भारत में प्रतिभाएं बहुत है पर बहुत से आर्थिक तंगी से दम तोड़ देती है। इन्हें आगे बढ़ने के लिए सरकार के अलावा निजी संस्थानों , व्यापारियों और संपन्न लोगों को सामने आना चाहिए।

38 साल तक कायम रहा रिकॉर्ड


मिल्खा सिंह को अपना आदर्श मानने वाले परमजीत सिंह ने उन्हीं से प्रेरणा लेकर 38 साल बाद उनका 400 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 1998 में तोड़ा था। मिल्खा सिंह ने रोम ओलंपिक में यह राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था जिसमें वह 45. 6 सेकड के समय से कांस्य पदक से 0.1 सेकंड से चूक गए थे। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परमजीत सिंह ने कहा वह हमेशा उनके साथ बिताए समय को संजोकर रखेंगे।

उन्होंने कहा कि मिल्खा जी इतने उदार थे कि जब मैंने उनका रिकॉर्ड तोड़ा था तो मुझे चंडीगढ़ में अपने घर पर रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया गया था।


फिटनेस जुनूनी , कभी दवा नहीं ली

करोना होने से पहले मिल्खा सिंह ने कभी दवाई नहीं खाई थी यही नहीं वह कभी बीमार भी नहीं पड़े मिल्खा सिंह खुद बताते थे कि उन्होंने कभी सिर दर्द तक की गोली तक नहीं खाई थी । कभी-कभी जब वह खुद को अनफिट महसूस करते थे या सर में हल्का दर्द होता था तो उनकी पत्नी उनके बिस्तर के पास टेबल पर दवा और पानी रख देती थी। मिल्खा सिंह उस दवाई को तकिए के नीचे दबा देते थे और पानी पीकर सो जाते थे कभी कमजोरिया थकान महसूस होती थी तो आराम कर लेते थे वह हर दिन गोल्फ क्लब जाते और पूरा राउंड खेल कर लौटते थे।

Milkha Singh को Dr हावर्ड ने भी संवारा

मिल्खा सिंह को लखनऊ के डॉक्टर एडब्ल्यू हावर्ड ने भी खूब संवारा मिल्खा सिंह ने खुद बताते थे कि कार्डिफ़ राष्ट्रमंडल खेल 1958 के दौरान डॉ हावर्ड उनके साथ थे उन्होंने ही उस समय के विश्व रिकॉर्ड धारी दक्षिण अमेरिका के धावक स्पेंस पर खूब रिसर्च की थी। उन्होंने ही बताया था कि स्पेंस पहले 300 मीटर की दौड़ तेज दौड़ता है। इसी के तहत डॉक्टर हावर्ड की रणनीति के हिसाब से वह दौड़े और स्वर्ण पदक जीता डॉक्टर हावर्ड अमेरिका के रहने वाले थे । वह क्रिस्चियन फिजिकल एजुकेशन कॉलेज के प्रधानाचार्य बनाकर 1948 में भेजे गए थे । वह इस पद पर 1968 तक रहे उन्होंने कार्डिफ़ राष्ट्रमंडल से पहले एक कैंप लगाया था डॉक्टर हावर्ड की ट्रेनिंग उस समय सबसे सख्त मानी जाती थी बाद में वह मिल्खा सिंह के जन्मदिन के बुलावे पर अमेरिका से आए थे।



अनमोल यादें -


मिल्खा सिंह राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा का पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे उनके अनुरोध से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उस दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की थी।

" भाग मिल्खा भाग " फिल्म से सिनेमा में भी छाए


मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग  काफी सफल रही उन्होंने इसके लिए सिर्फ ₹1 लिया था ।फिल्म में उनका किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था।


वे रेस( दौड़ ) जिन्होंने महान बनाया

ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल 1958

मिल्खा सिंह कार्डिफ में हुए ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल में 440 यार्ड का स्वर्ण पदक जीतने के बाद विश्व स्तर पर पहली बार सुर्खियों में आए इस दौड़ से फाइनल में दुनिया के नंबर एक और विश्व रिकॉर्ड धारी एथलीट स्पेंस भी थे। दौड़ शुरू होते ही मिल्खा जमकर दौड़े और स्पेस को करीब आधा मीटर के अंतर से पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता दौड़ पूरा करते हुए मिल्खा सिंह बेहोश होकर गिर पड़े पर इस दौड़ ने उन्हें रातोंरात दुनिया में सितारा बना दिया था।



रोम ओलंपिक 1960


रोम में भारतीय तैलिक टीम के कोच बैंस रोल को पूरा विश्वास था। कि मिल्खा पदक जरूर लाएंगे । फाइनल में वह 250 तक दौड़ तेज दौड़े। फिर उन्होंने अपनी गति धीमी की तीन - चार एथिलीट सुन के आगे निकल गए। दौड़ खत्म होने तक मिल्खा सिंह उन्हें पकड़ नहीं पाए । उनके हाथ से पदक छूट गया ।पहले 4 स्थान पर आए एथलीट्स ने 45. 9 सेकंड पुराने ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया था ओलंपिक मिल्खा सिंह ने 45. 6 सेकंड में चौथे स्थान पर दौड़ पूरी की थी।



टोक्यो एशियाई खेल 1958

1958 में हुए टोक्यो एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह पूरी फॉर्म में थे । यहां पूरे एशिया खासकर भारत और पाकिस्तान के लोगों की नजर मिल्खा सिंह के 4 मीटर के बजाय 200 मीटर की दौड़ पर थी। क्योंकि इसमें पाकिस्तान के स्टार अब्दुल खलीक की धाक थी यह दौड़ में मिल्खा और खलीक के वर्चस्व की लड़ाई भी थी मिल्खा ने कमाल का फर्राटा भरते हुए अब्दुल खलीक को चेस्ट फिनिश में पछाड़ा मिल्खा ने 400 मीटर की दौड़ का स्वर्ण पदक जीतकर गोल्डन डबल किया था।


जकार्ता एशियाई खेल 1962

1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेल के दौरान मिल्खा सिंह एशिया के 400 मीटर दौड़ के सबसे उम्दा एथलीट थे । वह 400 मीटर दौड़ के फाइनल तक आसानी से पहुंच चुके थे। इस फाइनल में उनका मुकाबला अपने ही देश के माखन सिंह और जापान के एथलीट सीमितादा हयासे से था । 300 मीटर के बाद मिल्खा सिंह ने इतना तेज फर्राटा भरा की माखन सिंह समेत सभी एथलीट पीछे छूट गए मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक फुट 46. 9 सेकंड का समय निकालकर जीता।



हिंदुस्तान बनाम पाक रेस जीतकर फ्लाइंग सिख बने

 पाकिस्तान की यादें मिल्खा के लिए नासूर बनी रही । पूरे परिवार की हत्या के मंजर उन्हें चैन नहीं लेने देते थे। पर सबसे बड़ी प्रतिद्वंदिता और भाईचारे के लिए उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कहने पर पाक जाना पड़ा। पाक में अब्दुल खलीक का वैसा ही रुतबा था जैसा भारत में मिल्खा सिंह का था।

 60 के दशक में जनवरी के शरद महीने में  " खलीक बनाम मिल्खा पाकिस्तान बनाम भारत की सुर्खियों में माहौल में गर्मी पैदा की " जो मिल्खा को नहीं जाती बॉर्डर वाघा बॉर्डर पार करते ही मिल्खा की जीप पर पाकिस्तानियो  ने फूल बरसाए ।

        खलीक मीटर के उस्ताद थे । उन्होंने दिल में एशियाई खेलों में 100वें सेकंड से स्वर्ण चूकने का बदला लेने की ठान रखी थी । दोनों में बेहद कांटे की टक्कर थी।  खलीक,  मिल्खा से दो कदम आगे निकल गए। पर 150 यार्ड होते-होते मिल्खा बराबरी पर आ गए। मिल्खा ने मात्र 20.7 सेकंड में वह दौड़ पूरी कर नया रिकॉर्ड बना डाला। पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब  उनसे इंग्लिश में बोले जिसका मतलब था।  तुम दौड़े नहीं यार तुम तो उड़े... यहीं से मिल्खा का नाम फ्लाइंग सिख ।  दिल में लेकर गए मिल्खा बहुत सारा प्यार और नया किताब लेकर लौटे ।



महिला बोली सरदार ने कमाल कर दिया 

लाहौर के स्टेडियम में मौजूद 60,000 लोगों ने एक तिहाई महिला थी। मिल्खा सिंह बताते हैं कि उनमें से 10,000 ने बुर्के उठाकर कहा था। सरदार ने कमाल कर दिया 


" खुदा का बंदा हूं " कहने पर मौलवियों ने दुआ की 

       रेस शुरू होने के पहले मौलवियों ने खलीक के लिए दुआओं की मन्नतें मांगी। सभी खलीक की जीत पर दुआ मांग रहे थे। पर वहां कोई पंडित या पुरोहित नहीं था  जैसे ही मौलवी लौट लौटने को हुए तो मिल्खा बोल पड़े , मै भी खुदा का बंदा हूं ।  इससे दिलों की दीवारें ढह गई और मौलवी रुक गए । उन्होंने मिल्खा के लिए भी दुआएं की।


श्रद्धांजलि

रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति


      खेलों के महानायक मिल्खा सिंह के निधन से दुखी हूं उनके संघर्ष  की कहानी भारतीय की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनके परिवार और असंख्य प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

पीटी ऊषा ,पूर्व भारतीय धाविका


     मेरे आदर्श और प्रेरक मिल्खा सिंह जी के निधन के बाद दुख के काले बादल छा गए हैं । उन्होंने कड़ी मेहनत की और उनकी कहानी ने लाखों को प्रेरित किया आगे भी करती रहेगी। उषा स्कूल छात्रों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि।


नरेंद्र मोदी ,प्रधानमंत्री


        हमने एक बहुत बड़ा खिलाड़ी को खो दिया जिनका असंख्य भारतीय के ह्रदय में विशेष स्थान था । उनके प्रेरक व्यक्तित्व से वह लाखों के चहेते थे मैं उनके निधन से आहत हूं । मैंने कुछ दिन पहले ही उनसे बात की थी ।मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी।

Law Like ,CEO & Founder


मिल्खा सिंह जी ना सिर्फ खेल के सितारे थे। बल्कि अपने समर्पण और संयम की वजह से करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी संवेदना है भारत अपने फ्लाइंग सिख को याद करता है।


Law like , CO - Owner 



     मिल्खा सिंह
भारत के महानतम खिलाड़ियों में आप एक रहे आपने युवा भारतीयों को एथलीट बनने के सपने दिए आप के निधन से हर भारतीय के दिल में खालीपन पैदा हो गया है। लेकिन आप आने वाली कई पीढ़ियों के प्रेरणा स्रोत रहेंगे।


🎓:Meenu sony Advocate


          करबद्ध प्रणाम तुम्हें अद्भुत धीर रहे तुम 

        शांत हृदय में अग्नि लिए धावक वीर रहे तुम


Advocate Gautam Singh

भारत के गौरव, महान एथलीट मिल्खा सिंह जी का निधन सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। यह मेरी लिए भी व्यक्तिगत क्षति है।

देश ने एक चमकता सितारा खो दिया है। देश के युवाओं के लिए आप सदैव प्रेरणास्रोत रहेंगे।

ईश्वर शोकाकुल परिवारजनों को धैर्य प्रदान करे।


विनम्र श्रद्धांजलि।











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